Mahakumbh 2025: जनवरी 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में होगा। महाकुंभ भारतीय संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। प्रयागराज को विशेष इसलिए माना जाता है क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है, जिसे ‘त्रिवेणी संगम’ कहा जाता है। इसका आयोजन प्रमुख रूप से चार पवित्र स्थलों- नासिक, हरिद्वार, उज्जैन और प्रयागराज में होता है।
Mahakumbh 2025: जानिए महाकुंभ का पहला शाही स्नान कब है, क्या है इसके नियम और शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से व्यक्ति को अपने जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही यह आत्मा और शरीर की शुद्धि का मार्ग भी माना जाता है। इस महापर्व का साधु-संतों और श्रद्धालुओं द्वारा बेसब्री से इंतजार किया जाता है। त्रिवेणी संगम में स्नान करने का विशेष महत्व है, और इसी कारण महाकुंभ का आयोजन यहां भव्य तरीके से किया जाता है।
महाकुंभ के दौरान सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है शाही स्नान। इस स्नान के दौरान अखाड़ों के साधु-संत विशेष शोभायात्रा के साथ संगम तक पहुंचते है और श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बनते है। ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ के समय ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण संगम का जल चमत्कारी गुणों से भर जाता है। इसी वजह से शाही स्नान को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। शाही स्नान की परंपरा में सबसे पहले साधु-संत स्नान करते है, इसके बाद आम श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते है।

शाही स्नान के लिए शुभ मुहूर्त- Mahakumbh 2025
2025 के महाकुंभ में पहला शाही स्नान पौष पूर्णिमा के दिन होगा। पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 को सुबह 5:03 बजे से शुरू होकर 14 जनवरी को रात 3:56 बजे तक रहेगी। इस दौरान स्नान के शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है-
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:27 से 6:21 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:15 से 2:57 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:42 से 6:09 तक
निशिता मुहूर्त: रात 12:03 से 12:57 तक
शाही स्नान के नियम
शाही स्नान के दौरान श्रद्धालुओं को कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। स्नान के समय साबुन या शैंपू का उपयोग वर्जित है क्योंकि इसे पवित्र जल को अशुद्ध करने वाला माना जाता है। स्नान के बाद श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार गरीबों को दान करते हैं, जिसमें अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल होती है। दीपदान का भी विशेष महत्व होता है, जिसे पुण्यदायी माना गया है।
यह आयोजन दुनियाभर के श्रद्धालुओं को एक मंच पर लाता है, जहां वे आस्था, भक्ति और सेवा के इस महापर्व में सहभागी बनते है। महाकुंभ न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का संगम भी है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए Nihalnews24 उत्तरदाई नहीं है।
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